मेरे विरुद्धआर्टिकल छापे है व मीडिया चैनल पर भी दिखाया गया है वह निराधार है–डॉक्टर दौलत सिंह विभागाध्यक्ष राजकीय दून मेडिकल कॉलेज
देहरादून( ब्यूरो) – डॉक्टर दौलत सिंह विभागाध्यक्ष राजकीय दून मेडिकल कॉलेज ने दावों का खंडन किया और कहा कि कुछ समाचार पत्रों में मेरे विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर के दिये गए बयान पर मेरे विरुद्ध कुछ आर्टिकल छापे है व कुछ मीडिया चैनल पर भी दिखाया गया है जो कि असत्य व निराधार है। किसी भी मीडिया ने ये खबर चलाने से पहले मुझ से कोई चर्चा नही की। इस सुनियोजित एक तरफा बयान का मैं खंडन करता हूं। सभी मीडिया बंधुओ से ये भी निवेदन करना चाहता हूँ इस तरह के समाचार रिलीज करने से पहले सभी पहलु को जान लेना चाहिए क्यों कि अधूरी एक तरफा जानकारी से कैंसर विभाग के साथ साथ अस्पताल की भी छवि धूमिल हुई है। जैसा मीडिया व समाचार पत्रों में आया है वैसा कुछ भी नही हुआ है। मीडिया को भी भृमित कर ऐसी खबर बनवा दी। ये हमारे कैंसर विभाग का आंतरिक मामला था विबाद का जो काफी दिन से चल रहा था। दरअसल मुझे 13 तारीख को एम डी कोर्स के परीक्षक के रूप में दूसरे मेडिकल कॉलेज में जाना था। उसके लिए मेने 10 तारीख को प्राचार्य महोदया को लिखित प्रार्थना पत्र द्वारा अवगत कराया । उनहोंने डयूटी नोट करा के लाने के निर्देश दिए जो नियमानुसार सही भी था। मैं अपने विभाग में गया तथा अपने तकनीशियन द्वारा प्रार्थना पत्र डयूटी नोट करवाने के लिए भेजा।लेकिन वो बिना डयूटी नोट किये ही चले गए। चूंकि अगले दिन माह का दूसरा शनिवार होने की वजह से बंद था और शुक्रवार को प्रार्थना पत्र जमा करना आवश्यक था तो मैने तकनीशियन के द्वारा फ़ोन कराया ताकि डयूटी नोट हों सके लेकिन उन्होंने साइन नही किये , मुझे नही पता कि क्या उनकी सोच थी या क्या कारण था। अगले दिन शनिवार को 2 बार निवेदन किया गया। मेरे तकनीशियन ने उनसे प्रार्थना पत्र वापस मांगा। परन्तु न उन्होंने पत्र वापस किआ न कुछ जवाब दिया। फिर मेने तकनीशियन के द्वारा संदेश भिजवाया की डयूटी नोट नही करनी है तो मेरे प्रार्थना पत्र को वैसे ही वापस कर दे ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके क्यों कि पूर्व में भी कई बार उन्होंने डयूटी नोट करने से मना कर दिया था व दुर्व्यवहार भी किआ था जिसकी वजह से मुझे एक बार अन्य विभाग के डॉ को व 2 बार चिकित्सा अधीक्षक को चार्ज देके जाना पड़ा। लेकिन उस दिन बार बार मांगने पर भी टेक्निशन को वह पत्र वापस नही किआ। तब परेशान होकर इसका कारण जानने के लिए मुझे मजबूरी में स्वम् जाना पड़ा क्यों कि अगले दिन रविवार था और उसके अगले दिन सोमवार को परीक्षा लेने अन्य संस्थान में सुबह 9 बजे पहुचना था। जब मैने जाकर अपने पत्र को वापस करने के लिए कहा तो एक दम मुझ पर आक्रोशित हो गए और बोले वो मेने ऊपर आफिस भेज दिया। जब मै बोला की आज तो आफिस की छुट्टी है और मैं विभागाध्यक्ष हु । विभागाध्यक्ष के द्वारा ही कोई भी पत्र प्राचार्य कार्यालय को भेजा जाता है। तो मुझ पे और ज्यादा भड़क गए और बोले मेरे पास कोई आपका पत्र नही आया। आपके पास क्या सबूत है कि मेरे पास आपका पत्र है । में एक दम अचंभित रह गया मेने भी नाराजी जाहिर करते हुए कहा कि आप ऐसे कैसे बात कर रहे हो। मैं आपका HOD हु। तो क्रोधित होके एक दम उठ कर खड़े हो गए । ऐसे व्यवहार को देख में निर्देश दे कर वापस आ गया। क्यों कि पूर्व में भी मेरे साथ दुर्व्यवहार कर चुके है। तो वो एकदम मेरे पीछे मेरे कमरे तक आ गए व मेरे साथ दुर्व्यवहार किआ। और उल्टा मुझपे बदतमीजी करने का आरोप लगाया ह। फिर बोले आपने मुझे गाली दी है। कभी बोले आपने मुझे मारने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने स्वम के फ़ोन से इस घटना क्रम की vedio भी बनाई है।जिससे सत्यापन किआ जा सकता है । ये कई मरीजो के साथ भी कई बार दुर्व्यवहार कर चुके है जिसमे इनकी शिकायत उच्च स्तर पे मरीजो की तीमारदारों द्वारा की जा चुकी है। कुछ vedio भी वायरल हुई थी । पूर्व में भी ये मेरी विरुद्ध झूटी शिकायत कर चुके है जबकि दुर्व्यवहार इनके ही द्वारा किआ जाता रहा है जैसे विभागाध्यक्ष के निर्देशो की अवहेलना करने, आचरण नियमावली का पालन न करना, मनमाने समय पर हॉस्पिटल में आना जाना इत्यादि। इनके द्वारा की गई शिकायत असत्य व आधारहीन है। मैं कड़े शब्दों में इसका खंडन करता हूँ। इनके इस षड्यंत्र रचित कृत्य से पूरे अस्पताल की व कैंसर विभाग की छवि धूमिल हुई है इसके लिए मैं ह्रदय से दुखी हूं।